मैं उसको और वो मुझको समझाए क्या, दिल उदास है मेरा, इंतज़ार है वो बतलाए क्या। हंस के वो यूँ देखे मुझको, बोले सब ठीक हो जाएगा, इंतज़ार बस ये है कि पहले कौन अच्छी चाय बनाएगा। दोस्त हर उलझन को चाय में घोल देता है, ग़म कितना ही क्यों न हो, वो खुशी से तौल देता है। कहूँ कैसे उसे मैं, कि उसकी चाय में जादू है, चलो जादू न हो भी तो, उसके साथ लगता है ज़िंदगी पे काबू है। जब जब ग़म का बादल छाया, उलझन ने दिल को...