तमन्नाओं का आसमान

ये ख्वाब ख्वाब तमन्ना, और इन आँखों के ये दबे सवाल,
अंजाना सा ये रास्ता, ये आरज़ू और ये खयाल।
ख्यालों से मंजिलों के बीच, लकीर कोई तू तबियत से खींच,
लकीरों में जीत और हार के बीच,
हौसला है तो इज़ाम को खून से सींच।

नाकाबिल मुस्तकबिल है तेरा, कहते हैं कहने वाले,
जहाँ लोग उम्मीद छोड़ते, कमाल करते हैं करने वाले।
खुद में खुद को बचाए रख कर,
अपने उसूलों को जगाए रख कर,
पलकों की खिड़की पर अरमान सजाने वाले,
बेफिजूल न सुन तू जो कहते हैं ज़माने वाले।

इंसानों के इश्तेहार के बाजार में,
खुद की तलाश करता एक सितारा,
कहीं गुमनाम सी राहें,
कहीं अपनी मंज़िल का इशारा।
इश्तेहारों की इस भीड़ में,
जहां हर शख्स खुद को बेच रहा,
हमने दिल की चाहत में,
रूह से सच्चाई का इज़हार किया।

ये ख्वाब ख्वाब तमन्ना,
और इन आँखों के ये दबे सवाल…

About the Amateur Poet

Anish

खुद की खोज में निकला, जिंदगी के मंजर निहारता, जिंदगी की गहराइयों में, अपना अक्स तलाशता।

“Embarked on a quest to find myself, observing life’s varied scenes, In the depths of life, searching for my own reflection.” ~ Anish

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By Anish

Anish

खुद की खोज में निकला, जिंदगी के मंजर निहारता, जिंदगी की गहराइयों में, अपना अक्स तलाशता।

“Embarked on a quest to find myself, observing life’s varied scenes, In the depths of life, searching for my own reflection.” ~ Anish

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