अंधेरों की छाँव में, जब ख्वाब उजाला बन जाए, उन आँखों की यादों में, हर रात सवेरा कहलाए। जब रात के सन्नाटे में, कुछ भीगे अल्फाज़ों की बात हो, उसकी मेरी खामोशी में, जज़्बात-ए-ग़ज़ल की आवाज़ हो। ख्वाब अधूरे हैं भी अब, जब नींद से नाता खो जाए, उसके साथ की गुरबत में भी, हौसले मालामाल हो जाए। चांदनी की चादर ओढ़, जब गुज़रे लम्हे साथ चलें, राहें भले बदल गईं, पर कुछ दूर तो हम साथ चले। हाथों की लकीरों में...
रात और उम्मीदें
रात और उम्मीदें रात की इस वीरानियों में, उम्मीदों के चिराग जलाए हैं, अंधेरों के साये में भी, खुद को खोज कर लाए हैं। मुझमें किसी और का अक्स हो, ये मशवरा अक्सर लोग देते आए हैं, खुद में तलाशा मैंने हर अक्स को, पर वो मिला नहीं जो लोग बताते आए हैं। एक शख्स ऐसा मिला था, जिससे चरागों का नूर थमा है, बस उम्मीद की बातें, दिलों में गहरा शोर मचा है। हौले से सिरहाने में, उसकी बातों से गुफ्तगू करते आए हैं, वो...
ख्वाबों की दुनिया
वो अलग ख्वाब था, जो कभी मैं देखता था, लोगों के आम तजुर्बे से अलग, वो रोशनी खुद में समेटता था। उस ख्वाब की बारिश के, हर बूँद में रंग बिखरा था, मुहल्ले की गलियों और मैदानों को, जब मोबाइल ने ना छीना था। मनचाहा चला था दिल का रास्ता, ख्वाहिशें दुनिया के आसमान में, न किसी के परखने का डर, दिल अपनी ही धुन में गाता था शान से। कागज की कश्तियां बहती थीं, बारिशों के पानी में, आंखों की चमक थी कुछ और, छोटे...
गूंज
अनकही सी आरज़ू, गूँज जो गवाह न हो, खामोशी की गहराई में, जो कहा वो सुना न हो। ज़िंदगी के आईने में, अक्सर लोगों ने रंग बदला है, जब भी मैं गिरते गिरते संभला, लोगों के लिए वो मसला है। तलाश कैसी है वो पता नहीं, ढूँढा बहुत पर दिल के दराज़ में वो मिला नहीं, इस दिल के सन्नाटे में भी, तलाशते रहने का कोई गिला नहीं। ज़िंदगी की राहों में, हर मोड़ पे है एक ख्वाब, कैफियत की उलझन, जैसे बांधे हो सिलवटों का...