चाय का साथ

मैं उसको और वो मुझको समझाए क्या,
दिल उदास है मेरा, इंतज़ार है वो बतलाए क्या।
हंस के वो यूँ देखे मुझको, बोले सब ठीक हो जाएगा,
इंतज़ार बस ये है कि पहले कौन अच्छी चाय बनाएगा।

दोस्त हर उलझन को चाय में घोल देता है,
ग़म कितना ही क्यों न हो, वो खुशी से तौल देता है।
कहूँ कैसे उसे मैं, कि उसकी चाय में जादू है,
चलो जादू न हो भी तो, उसके साथ लगता है ज़िंदगी पे काबू है।

जब जब ग़म का बादल छाया, उलझन ने दिल को गहराया,
बातें उसकी ऐसी जैसे अँधेरे में हो धूप का साया, और Bonus में उसने अपने मीठे बकवास का Top-Up है लगाया।
एक कप चाय के साथ, वो आसानी से बातें मेरी सुन लेता है,
कप की कमी हो जाए तो भी, वो चाय कटोरी में पी लेता है।

इस दोस्ती में धीमी सी शुरूआत थी,
बेमानी होगा ये न कहना कि चाय उसकी बुनियाद थी।
बातें चाय की थीं आसां, दिलों की बातों में थीं गहराइयां,
इन प्यालों ने देखे हैं हमारे हर दिन के, हर शब की तन्हाइयां।

वक्त ने जब दी रवानी, चाय ने क़िस्से सजाए,
शक्कर यूँ घुली दोस्ती में, जैसे कायनात ने राज़ बताए।
चाय के धुएं में वो सुनता मेरे दिल-ए-उलझन का हाल,
बातें उसकी फिर ऐसे होती, जैसे अदरक-इलायची की खुशबू मिसाल।

लोग ताने कसते हैं यूँ, कहते हैं चाय से हो गया इश्क जनाब,
हम मुस्कुरा के कहते हैं, कॉफ़ी सही मगर चाय है दिल का जवाब।
चाय है दिल की बातों का सिलसिला, ये यार है अपना ज़रा ख़ास,
दुनिया चाहे जो कुछ भी कहे, हमें तो अपनी चाय पे है नाज़।

About the Amateur Poet

Anish

खुद की खोज में निकला, जिंदगी के मंजर निहारता, जिंदगी की गहराइयों में, अपना अक्स तलाशता।

“Embarked on a quest to find myself, observing life’s varied scenes, In the depths of life, searching for my own reflection.” ~ Anish

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By Anish

Anish

खुद की खोज में निकला, जिंदगी के मंजर निहारता, जिंदगी की गहराइयों में, अपना अक्स तलाशता।

“Embarked on a quest to find myself, observing life’s varied scenes, In the depths of life, searching for my own reflection.” ~ Anish

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